मोदी एक छलावा?

दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा: भ्रम या वास्तविकता

“पिछले 9-10 वर्षों में पूरे विश्व में भारत के प्रति एक नया विश्वास, एक नई आशा और एक नया आकर्षण पैदा हुआ है “

नरेंद्र मोदी, स्वतंत्रता दिवस संबोधन, अगस्त 2023

"मोदी का भारत और भी ज़्यादा असहिष्णु और विभाजनकारी बन गया है, परिणामस्वरूप भारत की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ है"

दी इकोनॉमिस्ट | The Economist

"मोदी के नेतृत्व में हिंदू राष्ट्रवाद के बढ़ते ज्वार और अल्पसंख्यकों पर हमलों के कारण लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के प्रतीक के रूप में भारत की प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ है।"

दी नई यॉर्क टाइम्स | The New York Times

भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा का दावा है कि वैश्विक स्तर पर भारत की भू-राजनीतिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

भारतीय मीडिया अक्सर इस दावे को दोहराता है, और इसे एक परिष्कृत डिजिटल प्रचार मशीन द्वारा बढ़ावा दिया जाता है। लेकिन क्या यह सच है?

भारतीय नागरिक अपने देश की वैश्विक प्रतिष्ठा को लेकर अत्यधिक चिंतित रहते हैं, इसलिए मोदी के ये दावे सही हैं या नहीं, यह जानना बहुत ज़रूरी है, खासकर क्योंकि भारत में इतिहास के सबसे बड़े चुनाव शुरू हो रहे है।

यह रिसर्च कई दृष्टिकोणों से प्रचलित आख्यानों का परीक्षण करती है, एकदम नए शोध परिणाम प्रस्तुत करती है, और प्यू (Pew), कार्नेगी (Carnegie), ग्लोबस्कैन (Globescan) और यूगोव (YouGov) सहित अंतरराष्ट्रीय संस्थानों द्वारा हाल के रिसर्च का संश्लेषण प्रस्तुत करती है |

जनमत क्या कहता है?

group of people attending concert

Photo by CHUTTERSNAP on Unsplash

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2023 में प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा किए गए सर्वेक्षण से पता चलता है कि दूसरे देशों के लोग मोदी के सत्ता में आने से पहले के वर्षों की तुलना में भारत को मोदी के कार्यकाल में काफी कम अनुकूल रूप से देखते हैं - खासकर यूरोप में।

इसके अलावा, मार्च 2024 से अमेरिका और ब्रिटेन दोनों में यूगोव (YouGov) सर्वेक्षण के अनुसार, मोदी विदेशों में न तो प्रसिद्ध हैं और न ही लोकप्रिय हैं। सर्वे के अनुसार वैश्विक लीडरों में UK में मोदी 23वे स्थान पर हैं और US में 26वे स्थान पर।

UK

US

इस सर्वेक्षण से पता चलता है कि अमेरिका और ब्रिटेन में, मोदी, व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग जैसे अत्यधिक नापसंद किए जाने वाले लोगों के साथ-साथ ब्राजील के माइकल टेमर, या इटली के ग्यूसेप कोंटे जैसे कम जाने जानेवाले, पूर्व विश्व नेताओं से भी नीचे हैं। ब्रिटेन में केवल 10 प्रतिशत लोग ही मोदी को अनुकूल दृष्टि से देखते हैं। जबकि अमेरिका में उनकी अनुकूलता 22 प्रतिशत से कुछ अधिक है, वह अमेरिका में विश्व नेताओं में 26वें स्थान पर हैं, और युवा (जेन-ज़ी) उत्तरदाताओं के बीच उनकी स्वीकृति घटकर केवल 9 प्रतिशत रह गई है।

इस बीच, जीक्यूआर (GQR) के नए सर्वेक्षण से , ब्रिटिश भारतीयों में, मोदी के नेतृत्व को लेकर बढ़ी हुई नापसंदगी और मोहभंग का पता चलता है।

  • उत्तरदाताओं में से ज़्यादातर (52%) मोदी को नापसंद करते हैं, जबकि 35% पसंद करते हैं।
  • 54% उत्तरदाताओं को लगता है कि भारत गलत दिशा में जा रहा है।
  • मोदी को नापसंद करने वाले लोगों ने, धार्मिक तनाव और लोकतांत्रिक प्रतिबंध को चिंता का विषय बताया है, क्रमशः 76% और 71% उत्तरदाताओं ने उन्हें बहुत महत्वपूर्ण माना।
  • सभी उत्तरदाताओं में से 65% ने मोदी द्वारा प्रचारित धार्मिक हिंसा के ब्रिटेन में फैलने को सबसे बड़ी चिंता का विषय बताया।

तो, भारत की घटती लोकप्रियता और मोदी की अपेक्षाकृत खराब वैश्विक प्रतिष्ठा का कारण क्या है? आएये देखते हैं के ग्लोबस्कैन का नया सर्वे क्या कहता है।

नया पोल - वैश्विक स्तर पर मोदी के भारत के प्रति विश्वास और धारणाएँ

यह सर्वेक्षण ग्लोबस्कैन द्वारा अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस में किए गए ताजा (29 मार्च से 8 अप्रैल 2024 तक) शोध को प्रस्तुत करता है। पूर्ण विवरण के लिए कृपया इस रिपोर्ट के अंत में कार्यप्रणाली देखें।

यह नतीजे भारत के प्रति बढ़ते अंतरराष्ट्रीय विश्वास और प्रशंसा के मोदी के दावों से बिल्कुल अलग कहानी बताते हैं। दरअसल, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के अधिकांश लोग भारत में मानवाधिकारों और लोकतंत्र की स्थिति को लेकर चिंतित हैं, इतना कि वे इन मुद्दों को नए व्यापार और राजनीतिक वार्ता की शर्तों के रूप में देखना चाहते हैं। तीनों देशों में:

89%

सोचते हैं कि यदि उनके देश को भारत के साथ संबंध मजबूत करना है तो यह महत्वपूर्ण है कि भारत मानवाधिकारों और लोकतंत्र की रक्षा करे

88%

मानते है के भारत में औद्योगिक और अन्य वाणिज्यिक निवेशों के लिए मानवाधिकारों का संरक्षण ज़रूरी है

90%

अमेरिका और कनाडा के नागरिकों की हत्या के भारत सरकार के कथित प्रयास पर चिंता व्यक्त करें

4 में से 3

नए कानूनों पर चिंता व्यक्त करते हैं, जिससे मुसलमानों के लिए नागरिक बनना कठिन हो जाएगा

84%

सोचते हैं कि यह ज़रूरी है कि उनकी सरकार भारत में मानवाधिकारों को लेकर वकालत करे

विशेषज्ञों के बीच इस बात पर सहमति है कि मोदी के तहत भारत के लोकतंत्र और मानवाधिकारों को लेकर चिंताएँ जायज़ हैं। वी-डेम (V-Dem) अब भारत को "निर्वाचित ऑटोक्रेसी" के रूप में वर्गीकृत करता है और फ्रीडम हाउस (Freedom House) ने भारत को "आंशिक रूप से स्वतंत्र" में डाउनग्रेड कर दिया है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (Reporters Without Borders) द्वारा भारत में प्रेस की स्वतंत्रता को दुनिया में 161वां स्थान दिया गया है।

विपक्ष को दबाने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया जा रहा है, गिरफ्तारियों की लहर, प्रवर्तन निदेशालय (ED) के छापे और विपक्षी नेताओं के खिलाफ शुरू की गई जांच आम हैं, जबकि भाजपा के अपने नेता पूरी तरह से छूट का आनंद ले रहे हैं। ट्विटर, एक्स और ऐप्पल सभी ने अपने प्लेटफॉर्म्स के नाजायज सरकारी दुरुपयोग पर अलार्म बजाया है। बीजेपी इन तथ्यों को अंतरराष्ट्रीय साजिश का नतीजा बताती है, लेकिन फ्रेंड्स ऑफ डेमोक्रेसी के लिए यूगोव (YouGov) द्वारा कराए गए सर्वेक्षण से पता चलता है कि 80% भारतीय अपने लोकतंत्र के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं।

साथ ही, भाजपा द्वारा भारत के जीवंत लोकतंत्र को खत्म करने और इसे निर्वाचित ऑटोक्रेसी में बदलने पर अंतरराष्ट्रीय चिंता तेजी से बढ़ रही है।

समय रेखा:

मोदी के भारत की वैश्विक मीडिया कवरेज

2019 - Opposition leader Rahul Gandhi sentenced to two years in prison on defamation charges

विपक्षी नेता राहुल गांधी को मानहानि के आरोप में दो साल जेल की सजा सुनाई गई

Feb 2023 - BBC Delhi offices raided weeks after the release of a documentary criticising the Prime Minister

प्रधानमंत्री की आलोचना करने वाली एक डॉक्युमेंट्री की रिलीज के बाद बीबीसी दिल्ली के दफ्तर पर छापेमारी हुई

May 2023 - India drops 11 places to 161st in Press Freedom Index

प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 11 स्थान गिरकर 161वें स्थान पर

June 2023 - Modi's red carpet state visits to US and France marred by huge spike in criticism and protest on human rights and democracy.

मोदी की अमेरिका और फ्रांस की रेड कार्पेट राजकीय यात्राएं मानवाधिकारों और लोकतंत्र पर आलोचना और विरोध में भारी वृद्धि के कारण प्रभावित हुईं।

June 2023 - 70 Members of US Congress write to President Biden expressing concern for India's democracy.

अमेरिकी कांग्रेस के 70 सदस्यों ने राष्ट्रपति बिडेन को पत्र लिखकर भारत के लोकतंत्र के लिए चिंता व्यक्त की।

Sept 2023 - Modi repeatedly refuses Biden's requests for more media access at G20, in huge break with protocol.

मोदी ने प्रोटोकॉल का उल्लंधन करते हुए, जी20 में मीडिया की भागीदारी को लेकर बिडेन के अनुरोधों को बार-बार नाकारा

Sept 2023: Justin Trudeau accuses India of killing Canadian Sikh.

जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर कनाडा में एक सिख की हत्या का आरोप लगाया।

Oct 2023: US indictment reveals that the Indian government ordered 4 assassinations of US and Canadian citizens, including in New York.

अमेरिकी अभियोग के अनुसार भारत सरकार ने ४ अमेरिकी और कनाडाई नागरिकों की हत्याओं का आदेश दिया था

फिसलते हुए आंकड़े

डेटा पर आधारित भारतीय लोकतंत्र के बारे में चिंताएँ

flag hanging on pole

Photo by Naveed Ahmed on Unsplash

Photo by Naveed Ahmed on Unsplash

20

कंपनियाँ अब भारत में कुल मुनाफ़े का 70% कमाती हैं, भारत क्रोनी कैपिटलिज्म इंडेक्स में भी 10वें स्थान पर है

6677

NGOs का पिछले 5 वर्षों में विदेशी अंशदान अधिनियम (FCRA) के लाइसेंस रद्द कर दिए गए

300%

अल्पसंख्यकों के खिलाफ घृणा अपराध बढे (Hate -Crimes)

554,034

लोग भारत में कैद हैं, इनमें से तीन-चौथाई पर कोई मुकदमा नहीं चलाया गया

10,000

2014-20 के बीच 50 साल पुराने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या। सिर्फ 253 को दोषी पाया गया।

छलावा क्यों?

यदि मोदी ने वास्तव में विश्व मंच पर भारत की प्रतिष्ठा और सम्मान में नाटकीय रूप से वृद्धि नहीं की है, तो उनके बारे में व्यापक धारणा का क्या कारण है? यह छलावा कैसे बना?

इसका कारण प्रेस पर दबाव, सेंसरशिप तथा सोशल मीडिया पर फैलाये जा रहे दुष्प्रचार का नतीजा हो सकता है।

अंदरूनी सूत्र बताते हैं की प्रधान मंत्री कार्यालय, प्रमुख मीडिया की कहानियों दिशा निर्धारण करता है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय मामलों में मोदी की भूमिका को चित्रित करने वाली कहानियों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इस दिशा निर्धारण ने कुछ समय के लिए वैश्विक कवरेज को भी प्रभावित किया, क्योंकि विदेशी मीडिया अक्सर अपने दिल्ली के संवाददाताओं से संकेत लेते थे, जो राष्ट्रीय मीडिया माहौल से प्रभावित थे।

विश्व आर्थिक मंच की नवीनतम वैश्विक जोखिम रिपोर्ट (World Economic Forum Global Risks Report) के अनुसार, विशेषज्ञों ने दुष्प्रचार को भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है

मोदी ने मीडिया के दबाव की मदद से अपनी उपलब्धियों के बारे में कई लोगों को सफलतापूर्वक धोखा दिया है, इसका सबूत चिंता के एक अन्य प्रमुख क्षेत्र - अर्थव्यवस्था - को देखकर समर्थित किया जा सकता है। मोदी अक्सर 2014 में अपने कार्य-काल से पहले आर्थिक "खोए हुए दशक" को उलटने की बात करते थे, पर विश्व बैंक और अन्य संस्थानों के आंकड़े एक अलग तस्वीर पेश करते हैं। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जिसने पिछले 20 वर्षों में गरीबी और असमानता को दूर करने में वास्तविक प्रगति की है। लेकिन मोदी के नेतृत्व में इसके आर्थिक मामलों में नाटकीय बदलाव के दावे की बहुत कम जांच की जाती है, जैसा कि नीचे दिए गए ग्राफ़ से पता चलता है।

2004 से मई 2014 में मोदी के सत्ता में आने तक भारत का विकास...

... और उसके बाद

निष्कर्ष

कुल मिलाकर, हमने जिन साक्ष्यों की समीक्षा की है, उनसे पता चलता है कि दुनिया में भारत की स्थिति में नाटकीय रूप से वृद्धि करने का मोदी का दावा एक छलावा है|

ऐसा प्रतीत होता है कि भारत में लोकतंत्र के दमन और बल-प्रयोग का स्तर भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा में गिरावट और भारत में तैयार हुए इस छलावे, दोनों के लिए जिम्मेदार है। भारतीय भले ही प्रेस की स्वतंत्रता की कमी से जूझ रहे हों, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मीडिया तुलनात्मक रूप से स्वतंत्र है।

जबकि सबूतों से पता चलता है कि भारत का राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव इन सबके बावजूद बढ़ता रहेगा, शोध से यह भी संकेत मिलता है कि अगर भारत मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मानदंडों को सशक्त करता है, तो और भी तेजी से बढ़ने की संभावना है।

उम्मीद है कि इसमें शामिल सभी लोग, विशेषकर भारतीय नागरिक, भ्रम के आधार पर नहीं बल्कि वास्तविकता के आधार पर लिए गए निर्णयों से सबसे अधिक लाभान्वित होंगे।

अतिरिक्त जानकारी:

  1. अनस्प्लैश (Unsplash) और मिडजर्नी (Mid-journey) से चयनित छवियाँ/चित्रण।

कार्यप्रणाली

यह ब्रीफिंग प्यू (PEW), कार्नेगी (Carnegie), यू गॉव (YouGov) और जीक्यूआर (GQR) सहित प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सर्वे संस्थानों से प्रासंगिक उत्तरदाताओं के हालिया मतदान का संश्लेषण करती है।

इसके बाद यह ग्लोबस्कैन द्वारा 29 मार्च से 8 अप्रैल 2024 तक आयोजित ताजा शोध प्रस्तुत करता है। इसमें फ्रांस, यूके और यूएसए में प्रति देश लगभग 1,000 वयस्कों का 5 मिनट का ऑनलाइन सर्वे किया गया।

कुल सैंपल 3,000 वयस्कों का था। प्रबंधित ऑनलाइन पैनलों से स्तरीकृत सैंपल का उपयोग करते हुए, (सैंपल मुख्यतः ऑनलाइन जनसंख्या के प्रतिनिधि हैं) और यथासंभव राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधि होने के उद्देश्य से नवीनतम जनगणना डेटा के आधार पर तैयार किये गए हैं।

इस रिपोर्ट को जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी, अमेरिका के प्रोफेसर इरफान नूरुद्दीन, लंदन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज, यूके के डॉ. सिन्हा सुबीर और ग्रोनिंगन यूनिवर्सिटी, नीदरलैंड्स की डॉ. रितुम्बरा मनुवी ने गैर-सरकारी संगठन फ्रेंड्स ऑफ़ डेमोक्रेसी के सहयोग से लिखा है। ग्लोबस्कैन अनुसंधान फ्रेंड्स ऑफ डेमोक्रेसी द्वारा कराया गया था।